मेडिकल साइंस की दुनिया में क्या कुछ रहा खास 2013




वर्तमान समय में जिस तरह तकनीक जीवन का एक अहम हिस्सा बन गई है कुछ उसी तरह विज्ञान भी प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो रहा है. नए-नए आविष्कार मानव जीवन को बहुत सहज बना देते हैं और इस साल भी विज्ञान के क्षेत्र में कुछ ऐसे आविष्कार हुए, ऐसी क्रांतियां आईं जिन्होंने विकास की राह को और आसान कर दिया. साल 2013 अपने अंतिम क्षणों में हैं तो चलिए जाते-जाते हम आपको बताते हैं कि इस साल विज्ञान के क्षेत्र में हमें क्या उपलब्धियां हासिल हुईं:
कैंसर इम्यूनोथेरेपी: इस साल विज्ञान के क्षेत्र में सबसे बड़ी उपलब्धि या कहें क्रांति साबित हुई कैंसर इम्यूनोथेरेपी. इस थेरेपी के अर्थ है मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कुछ इस हद तक बढ़ाना ताकि वह ट्यूमर से मुकाबला करने में सक्षम हो जाए. वैसे तो कई दशक पहले से ही वैज्ञानिक ऐसे तरीके की खोज में लगे थे जिससे कि कैंसर के ट्यूमर को शरीर पर हावी ना होने दिया जा सके लेकिन अभी तक ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया था. परंतु इस साल वैज्ञानिकों को यह उपलब्धि हासिल हो गई और आखिरकार कैंसर के ट्यूमर से लड़ने के लिए वैज्ञानिकों एंटीबॉडीज का आविष्कार कर लिया जो शरीर के भीतर टी सेल्स से लड़ने में कामयाब सिद्ध होगी.
जेनेटिक माइक्रोसर्जरी: सीएएस 9 नामक प्रोटीन पर आधारित इस तकनीक में माइक्रोसर्जरी की सहायता से मानव जीन को संशोधित किया जा सकेगा. सीएएस 9 नामक प्रोटीन में मौजूद बैक्टीरिया को एक ऐसे हथियार के तौर पर प्रयोग किया जाएगा जो हिंसक वाइरस को काटने में कामयाब सिद्ध होंगे.
ह्युमैन क्लोनिंग का सफल परीक्षण: बहुप्रतीक्षित मानव क्लोनिंग जैसी रिसर्च के क्षेत्र में इस साल एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई जब अध्ययनकर्ताओं ने यह घोषणा कर दी है कि स्टेम सेल की सहायता से उन्होंने क्लोंड मानव भ्रूण विकसित कर लिया है. यूं तो पहले भी विभिन्न प्रजातियों के जानवरों की क्लोनिंग की गई है लेकिन मानव की क्लोनिंग एक जटिल विषय बना हुआ था जिसपर इस साल सफलता पा ली गई है.
आपके जीवाणु, आपका शरीर: वैज्ञानिकों ने यह बात प्रमाणित कर दी है कि शरीर में मौजूद लाखो-करोड़ों बैक्टीरिया यह निर्धारित करते हैं कि कुपोषण के समय या कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से चुनौती मिलने के बाद आपका शरीर किस तरह की प्रतिक्रिया देगा. इस प्रतिक्रिया के मिलने के बाद ही यह निर्धारित होगा कि आपको किस तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत है.
लैब में किडनी और लीवर का निर्माण: प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल्स की सहायता से वैज्ञानिकों ने मिनी किडनी, मिनी लीवर की सहायता से ऑर्गनॉइड्सविकसित करने में इस साल वैज्ञानिकों ने सफलता हासिल की. यानि कि अब लैब में ही छोटी किडनी और छोटा लीवर बना लिया जा सकेगा. sabhar : http://www.palpalindia.com

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