एशिया कप जीतकर सीधे क्वालीफाई करने उतरेगा भारत


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भारत की विश्व कप में सीट लगभग तय हो गयी है, लेकिन वह रविवार को मौजूदा चैंपियन दक्षिण कोरिया के खिलाफ होने वाले एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट के फाइनल में जीत दर्ज करके अगले साल होने वाले हॉकी महाकुंभ के लिये सीधे क्वालीफाई करने की कोशिश करेगा।




पाकिस्तान की दक्षिण कोरिया के हाथों सेमीफाइनल में 2-1 की हार से भारत और मलेशिया ने हॉलैंड के हेग में होने वाले विश्व कप के लिये एक तरह से क्वालीफाई कर लिया है। रिकॉर्ड चार बार का चैंपियन पाकिस्तान 1971 में इस टूर्नामेंट की शुरुआत के बाद पहली बार विश्व कप में नहीं खेलेगा।
कोरिया पहले ही विश्व कप में जगह बना चुका है और ऐसे में पाकिस्तान एशिया कप जीतकर ही विश्व कप में जगह बना पाता, लेकिन उसकी हार से भारत और मलेशिया के दरवाजे खुल गये और उन्हें नवंबर में ओसियाना कप की समाप्ति के बाद अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) से आधिकारिक पुष्टि का इंतजार रहेगा।
सरदार सिंह की अगुवाई वाली टीम हालांकि नवंबर तक का इंतजार करने के मूड में नहीं होगी और वह दक्षिण कोरिया को हराकर कल ही हेग का टिकट पक्का करना चाहेगी। पिछली बार 2009 में सातवें स्थान पर रहने वाली भारतीय टीम जब कोरिया से भिड़ेगी तो इस टूर्नामेंट में अपना रिकॉर्ड सुधारने की बात भी उसके दिमाग में रहेगी।
भारत ने आखिरी बार चेन्नई में 2007 में एशिया कप जीता था। उसने इस बार लीग चरण में कोरिया को 2-0 से हराया जिसका उसे फाइनल में मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा। भारतीय टीम अभी टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ टीम दिख रही है। उसका फाइनल तक का सफर अजेय रहा है और वह इस क्रम को जारी रखना चाहेगी। भारत ने अब तक टूर्नामेंट में जो चार मैच खेले हैं उनमें उसने केवल एक गोल खाया है, जबकि वह 21 गोल करने में सफल रहा।
दिलचस्प तथ्य यह है कि अब तक भारतीय रक्षापंक्ति को कमजोर माना जाता था, लेकिन वह टूर्नामेंट में उसका सबसे मजबूत पक्ष बनकर सामने आया है। रक्षापंक्ति में वीआर रघुनाथ, रूपिंदर पाल सिंह, कोठाजीत सिंह, गुरमैल सिंह और बीरेंद्र लाकड़ा दीवार की तरह खड़े रहे। टीम के उप कप्तान और गोलकीपर पीआर श्रीजेश के प्रभावशाली प्रदर्शन से भी उनका मनोबल बढ़ा है।
मलेशिया के खिलाफ सेमीफाइनल में भारतीय रक्षकों ने शानदार प्रदर्शन किया तथा मेजबान टीम की गोल करने की कई कोशिशों को नाकाम किया। टूर्नामेंट के दौरान भारतीय खिलाड़ियों में आत्मविश्वास भी दिखा। रघुनाथ और रूपिंदर ने अपनी अतिरिक्त जिम्मेदारी को समझा। इन दोनों ने पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने में अच्छा प्रदर्शन किया।
भारत की मध्यपंक्ति में कप्तान सरदार सिंह ने अहम भूमिका निभायी। उनकी अगुवाई में मनप्रीत सिंह, चिंगलेनसाना सिंह और एसके उथप्पा के प्रदर्शन में भी निखार आया। भारत की युवा और अनुभवहीन अग्रिम पंक्ति भी अपेक्षाओं पर खरी उतरी है। भारत की अग्रिम पंक्ति में एसवी सुनील, गुरविंदर सिंह चांडी, दानिश मुज्तबा और आकाशदीप सिंह जैसे खिलाड़ी हैं। इन्हें मनदीप सिंह, रमनदीप सिंह, मलक सिंह, नितिन थिम्मया और निकिन थिम्मया का अब तक अच्छा साथ मिला है।

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