भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया टीवी के जीवाणु का जिनोम मैप

तपेदिक गरीबों की बीमारी है इसलिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां इसके इलाज पर खास दिलचस्पी नहीं लेती टीबी से अंतिम लड़ाई का नेतृत्व करते हुए भारतीय वैज्ञानिकों ने इसके जीवाणु माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस के जीनोम की संपूर्ण सिक़्वेन्सिंग कर ली है सीएसआईआर के नेतृत्व में डेढ़ सौ वैज्ञानिकों ने एमटीवी के सभी 4000 जिलों को चिन्हित कर उसका डिजिटल मैप तैयार किया है इतना ही नहीं सीएसआईआर ने इन्हें फार्मा कंपनियों को निशुल्क उपलब्ध कराने के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध कराने का ऐलान किया है कि निदेशक ने बताया था कि इससे कम कीमत में और ज्यादा असरदार दवा इलाज की नई तकनीक हासिल करने का रास्ता खुल गया है 146 करोड़ की लागत से डिलीवरी ओपन कोर्स ड्रग डिलीवरी कार्यक्रम शुरू किया था इसके तक यह बड़ी सफलता है इसी कार्यक्रम में कनेक्ट टू द कोर्ट कॉन्फ्रेंस शुरू हुई थी उसमें वैज्ञानिकों ने टीबी जीन और उनकी सीक्वेंसिंग को अंतिम रूप प्रदान किया था वैज्ञानिकों ने कहा हां कहा था कि हालांकि दुनिया में एमटीवी के जीनोम को एक दशक पहले ही डिकोड कर लिया गया था लेकिन तब वैज्ञानिकों ने इसके 4000 जीन में से करीब 1000 जीन की ही सीक्वेंसिंग की थी हमने आगे सभी 4000 जीन की सीक्वेंसिंग की है इस डेटाबेस को वह osdd.net पर डाला जाएगा टीबी की कोई नई दवा ईज़ाद नहीं हुई है 1960 के बाद गौरतलब है कि इतने वर्षों में बीमारियों के जीवाणु ने खुद को बदल डाला और अब इसकी कुछ नई प्रजातियों को दवाओं का असर नहीं होता

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट