ब्रह्माण्ड और भौतिकी को समझ लिया नहीं समझ पाए महिलाओं को




कैंब्रिज.अपने जीवन में स्टीफन हॉकिंग ने ब्रह्माण्ड और भौतिकी के कई रहस्य सुलझाए हैं लेकिन एक रहस्य उनकी समझ से बाहर है। स्टीफन ने माना है कि उन्हें महिलाएं रहस्यमय लगती हैं और उन्हें समझना नामुमकिन है।

हॉकिंग इस रविवार को अपना सत्तरवां जन्मदिवस मनाने वाले हैं। इस मौके पर ‘न्यू साइंटिस्ट’ पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने माना कि वह दिन का अधिकतर वक्त महिलाओं के बारे में सोचते हैं और वे उन्हें समझ नहीं आती। हॉकिंग ने कहा कि ‘ब्लैक होल’ में बारे में एक धारणा अब तक उनकी सबसे बड़ी गलती है।
 
हॉकिंग मानते थे कि ब्लैकहोल में सूचनाएं खत्म हो जाती हैं लेकिन बाद में उन्होंने अपना विचार बदल लिया। विज्ञान के क्षेत्र में उतरे रहे युवाओं को हॉकिंग नया क्षेत्र और विचार चुनने का सुझाव देते हैं।

एब्रीफ हिस्ट्री ऑफ हॉकिंग

जन्म 8 जनवरी 1942 स्थान ऑक्सफोर्ड (इंग्लैंड) विवाह दो बार (दोनों बार तलाक) जेन हॉकिंग (1965-1991) एलेन मैसन (1995-2006) वर्तमान पद कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के अप्लाइड मैथमेटिक्स व थ्योरिटिकल फिजिक्स विभाग में थ्योरिटिकल कॉस्मोलॉजी सेंटर के निदेशक (शोध)

हॉकिंग कहते हैं..

॥मेरा लक्ष्य सीधा है। मुझे समझना है कि ब्रह्माण्ड कैसा है, क्यों है और जैसा है वैसा क्यों है।


॥हम एक आम सितारे के चारों ओर घूमने वाले छोटे से ग्रह पर रहने वाले विकसित बंदर हैं। लेकिन हम ब्रह्माण्ड को समझ सकते हैं और यह हमें कुछ खास बनाता है।

जिनका जीना ही बना रहस्य

दुनिया के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का जीवन भी उनके शोध के विषयों की तरह एक रहस्य है। जब वह 21 साल के थे तभी उन्हें पता चला था कि उन्हें ल्यू गेहरिग्स डिजीज नामक मोटर न्यूरॉन संबंधी समस्या है। इस तरह की बीमारियों से ग्रस्त अधिकतर इंसान कुछेक साल ही जी पाते हैं, हॉकिंग इस 8 तारीख को 70 साल के हो जाएंगे। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ चिकित्सक हॉकिंग के दीर्घायु होने को करिश्मा मानते हैं। हॉकिंग उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में से हैं जिन्हें रॉकस्टार या फिल्मी सितारों जैसी प्रसिद्धि मिली है।

1988 में अपनी पुस्तक ‘द ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ के बाद वह पूरी दुनिया में चर्चा में आए। ब्रह्माण्ड के स्वरूप का सरल वर्णन करने वाली उनकी इस किताब की लाखों प्रतियां बिकीं। ब्लैक होल और बिग-बैंग जैसी खगोलीय घटनाओं पर उनके शोध और विचारों ने कई अहम खोजों के लिए रास्ता बनाया है। ताज्जुब की बात है कि ये सभी महान काम हॉकिंग ने एक व्हील चेयर पर एक कंप्यूटर और वायस जेनरेटर के जरिए किए।

हॉकिंग की व्हीलचेयर पर लगे इस कंप्यूटर और वायस सिंथेसाइजर के जरिए वह अपना चेहरा हिलाकर अपनी बात रखते हैं। एक इन्फ्रारेड कैमरा उनकी भंगिमाओं के जरिए शब्द चुनता है और कंप्यूटर-जनित आवाज उसे लोगों तक पहुंचाती है। हालांकि, हॉकिंग को इस मशीन से एक शिकायत है, ‘इसमें मेरी आवाज किसी अमेरिकी जैसी लगती है।’

हॉकिंग की लोकप्रियता ने उन्हें ‘द सिंपसंस’ और स्टार ट्रेक जैसे टीवी कार्यक्रमों का भी हिस्सा बना दिया है। हालांकि, हॉकिंग खुद भी लोकप्रियता पसंद करते हैं और मजाकिया हैं। उनसे अक्सर पूछने वालों के लिए उन्होंने अपने कंप्यूटर पर एक मैसेज रिकॉर्ड कर रखा है,‘ नहीं, मैं स्टीफन हॉकिंग नहीं हूं, पर उन जैसा लगता जरूर हूं।’ इस रविवार को उनके जन्मदिन के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ‘द स्टेट ऑफ यूनिवर्स’ विषय पर एक सेमिनार आयोजित कर रही है जिसमें हॉकिंग सहित विश्व के 27 बड़े वैज्ञानिक वक्ता होंगे। sabhar : bhaskar.com
 
 
 
 

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट