सनकी...क्रूर....हत्यारे...अय्याश, इन तानाशाहों से थर्रा गई थी दुनिया
साचा बैरॉन कोहेन की नई कॉमेडी फिल्म 'द डिक्टेटर' एक ऐसे काल्पनिक तानाशाह पर आधारित है जिसका तानाबाना, तानाशाहों की जीवन शैली और गतिविधियों के इर्दगिर्द बुना गया है। ये काल्पनिक पात्र उत्तरी अफ्रीका का है और इनका नाम एडमिरल जनरल अलादीन है। लेकिन सवाल ये है कि वास्तविकता में ये तानाशाह आम लोगों से अलग क्यों होते हैं और उल्टी-पुल्टी हरकतें क्यों करते हैं? कोहेन का पात्र वाडिया में महिला सुरक्षाकर्मियों से घिरा रहता है और ऐशो-आराम का जीवन बिताता है। इस हफ्ते ये फिल्म पूरी दुनिया में रिलीज की गई है. ये काल्पनिक पात्र साफ तौर पर लीबिया के तानाशाह कर्नल गद्दाफी से प्रेरित है। यूनिवर्सटी ऑफ कोलारोडो में मनोविज्ञान के प्रोफेसर फ्रेड कूलिडगे का मानना है कि इस तरह के नेता स्वयंभू होते हैं और वो ये सोचते हैं कि वो जो भी करते हैं, सही ही करते हैं. आइए नजर डालते हैं इतिहास के कुछ कुख्यात तानाशाहों पर। कैलिग्यूला (ईसा बाद 12-41)रोमन सम्राट कैलिग्यूला इतिहास के पन्नों पर पहले तानाशाहों में गिने जाते हैं जो कि अपने भड़कीले व्यवहार और तुनक मिजाज़ी के लिए जाने जाते हैं। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में इतिहास पढ़ाने वाले वरिष्ठ व्याख्याता डॉक्टर बेनेट बताते हैं कि कैलिग्यूला ने एक बार आदेश दिया कि सारी नौंकाएं नेपल्स की खाड़ी में एक कतार में खड़ी हो जाएं ताकि वो उन पर चल कर एक एक शहर से दूसरे शहर जा सके। कैलिग्यूला को रेस के घोडे़ बेहद पंसद थे। कहा जाता है कि उन्होंने अपने प्रिय घोड़े के लिए अलग से घर बनवाया था, जिसमें उसकी सेवा के लिए सैनिक तैनात थे, साथ ही घोडे़ को सोने के मर्तबान में शराब पिलवाई जाती थी। यूनिवर्सिटी ऑफ एक्स्टर के प्रोफेसर पीटर वाइसमैन का मानना है कि कैलिग्यूला अच्छी तरह से जानता था कि वो क्या कर रहा है। उसने सार्वभौमिक सत्ता और ताकत के इस्तेमाल की सारी संभावनाओं को तलाशा। फ्रांसवा डूवलियर (1907-1971)
इदी अमीन (1920-2003) सपरमूरत नियाजोव (1940-2006)तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति नियाजोव खुद को एक ऐसे तानाशाह के रूप में पेश करते थे जैसे कोहन के काल्पनिक पात्र 'डिक्टेटर' का चरित्र है। उन्होंने अपनी 15 मीटर ऊंची सोने की परत चढ़ी प्रतिमा बनवाई थी जिसका मुख सूरज की तरफ था। हालांकि तुर्कमेनिस्तान की अधिकांश जनता गरीबी में जीवन जी रही थी, लेकिन नियाजोवने राजधानी में एक बर्फ का महल बनवाया और रेगिस्तान के बीचोबीच एक झील के निर्माण का आदेश दिया। उन्होंने अपने नाम पर शहर, पार्क बनवाए। यहां तक कि जनवरी महीने का नाम बदलकर उसका नामकरण अपने नाम पर कर दिया। वर्ष 1997 में धूम्रपान छोड़ने के बाद उन्होंने अपने सारे मंत्रियों को ऐसा ही करने को कहा था। उन्होंने नाटक, ओपेरा को तो प्रतिबंधित किया ही, साथ ही पुरुषों के लंबे बाल रखने पर प्रतिबंध लगा दिया। सद्दाम हुसैन की तरह ही उन्होंने एक किताब लिखी। रुखनामा तुर्कमेनिस्तान के इतिहास पर उनके विचारों का संग्रह है। स्कूल और विश्वविद्यालयों में इसे पढ़ाया जाना अनिवार्य कर दिया गया। 2006 में उनका निधन हो गया और 2011 में उनकी स्वर्ण प्रतिमा भी हटा दी गई। किम जोंग इल (1942-2011) उत्तरी कोरिया के किम जोंग इल आधुनिक युग के तानाशाह माने जाते हैं। वो खुद को कोरिया का प्रिय पिता यानी डियर फादर कहलाना पसंद करते थे। किम जोंग इल ने अपनी सत्ता और ताकत का महिमामंडन के लिए सरकारी मीडिया का इस्तेमाल किया। आधिकारिक बयान के मुताबिक जब किम जोंग इल का जन्म हुआ तो आकाश में दो इंद्रधनुष और एक चमकता सितारा दिखाई दिए और उनकी मृत्यु पर बर्फ से ढकी एक विशाल झील के दो टुकड़े हो गए। sabhar : bhaskar.com , BBC Hindi
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