पुरुषों की जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, पेशाब देर से क्यों आने लगता है?

 

पुरुषों की जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, पेशाब देर से क्यों आने लगता है?https://hi.quora.com/ और थोड़ा बहुत टपकता क्यों रहता है?

पुरुषों में यूरीन टपकने की समस्या को यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस कहते हैं। आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक आयु के पुरूषों में ये समस्या देखी जाती है, पर इससे कम आयु वालों को भी ये समस्या हो सकती।

पुरुषों में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस होने पर ये लक्षण नजर आते हैं -

  • छींकने, खाँसने, हँसने, कुछ उठाने, पॉश्चर में बदलाव या अन्य किसी कार्य को करने पर ब्लैडर पर दबाव पड़ने पर यूरिन लीक होता है। नुकसान की तीव्रता के आधार पर यह समस्या हल्की या धीरे-धीरे यूरिन लीक हो सकता है।
  • ब्लैडर के गलत समय पर सिकुड़ने पर भी यह समस्या पैदा होती है।
  • यहां तक कि ब्लैडर में कम मात्रा में यूरिन के होने पर भी यह अहसास हो सकता है। ओवरएक्टिव ब्लैडर से यूरिन पास करने का एक मजबूत दबाव बनता है, लेकिन ओवरएक्टिव ब्लैडर वाले हर व्यक्ति का यूरिन लीकेज नहीं होता है।
  • ओवरफ्लो इनकॉन्टिनेंट का मतलब होता है कि आपके ऊपर यूरिन पास करने का दबाव बनता है, लेकिन आप सिर्फ थोड़ी मात्रा में यूरिन पास कर पाते हैं। क्योंकि आपका ब्लैडर खाली नहीं रहता है जैसा कि इसे होना चाहिए, तो यह बाद में यूरिन लीक करता है।
  • हल्की मात्रा में यूरिन का लीक होना।
  • यूरिन का कमजोर प्रवाह।
  • यूरिन पास करते वक्त तनाव होना और ब्लैडर के खाली न होने का एक अहसास होना।
  • रात में तुरंत यूरिन पास करने का अहसास होना।
  • रात में सोते वक्त यूरिन लीकेज होना।

पुरुषों की जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, पेशाब देर से क्यों आने लगता है?

इसका कारण प्रोस्टेट ग्लैण्ड बढ़ना हो सकता है। प्रोस्टेट ग्लैण्ड को पौरुष ग्रंथि भी कहा जाता है।

प्रोस्टेट ग्लैंड ज्यादा बढ़ जाने पर कई लक्षण सामने आने लगते हैं जैसे यूरीन रूक-रूक कर आना, पेशाब करते समय दर्द या जलन और यूरीन ट्रेक्ट इन्फेक्शन बार-बार होना। प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ जाने से मरीज बार-बार पेशाब करने जाता है मगर वह यूरीन पास नहीं कर पाता।

कभी-कभी ऐसा होना सामान्य होता है पर अगर बार-बार यह परेशानी होती है तो ये प्रोस्टेट ग्लैण्ड बढ़ने की संभावना हो सकती है। 50% से भी ज्यादा पुरुष 60 की उम्र में प्रोस्टेट की समस्या से परेशान होते हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, यह ग्रंथि बढ़ने लगती है। इस ग्रंथि का अपने आप में बढ़ना ही हानिकारक होता है और इसे बीपीएच (बीनीग्न प्रोस्टेट हाइपरप्लेसिया) कहते हैं।

इसके बढ़ने से प्रोस्टेट कैंसर भी हो सकता है, जो पुरूषों में सर्वाधिक होने वाले कैंसर का एक प्रकार होता है।

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