महिला आरक्षण बिल संसद से पास, किसने क्या कहा

महिला आरक्षण बिल संसद से पास, किसने क्या कहा 

महिला आरक्षण बिल लोकसभा के बाद गुरुवार को राज्यसभा में भी पारित हो गया है.


इस विधेयक में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. महिला आरक्षण के लिए पेश किया गया विधेयक 128वां संविधान संशोधन विधेयक है.


इस बिल को लागू करने की राह में कई रोड़े हैं, जिसके चलते लंबा इंतजार करना पड़ सकता है.


बिल में कहा गया है कि जनगणना के आंकड़ों और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही इसके प्रावधान लागू हो सकेंगे.

परिसीमन में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर सीमाएं तय की जाती हैं.

पिछला देशव्यापी परिसीमन 2002 में हुआ था. इसे 2008 में लागू किया गया था.


परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के भंग होने के बाद महिला आरक्षण प्रभावी हो सकता है.


पक्ष में कितने वोट

केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया था.


संसद की नई इमारत में 19 सितंबर को कार्यवाही शुरू हुई. पहले ही दिन क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण से जुड़ा विधेयक पेश किया.


20 सितंबर को लोकसभा में करीब सात घंटे की चर्चा के बाद यह बिल पास हुआ. इसके पक्ष में 454 मत पड़े, जबकि दो सांसदों ने इसके विरोध में वोट दिया.


21 सितंबर, गुरुवार को 'नारी शक्ति वंदन विधेयक' राज्यसभा से पारित हुआ, जहां 215 सांसदों ने इसके समर्थन में वोट डाले. यहां एक वोट भी इसके विरोध में नहीं पड़ा.


राज्यसभा में बिल के पास होते ही संसद का विशेष सत्र भी खत्म हो गया. सत्र के आखिरी यानी चौथे दिन महिला सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ग्रुप फोटो भी खिंचवाई.

विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.


इसका मतलब यह हुआ कि लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.


लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटें आरक्षित हैं. इन आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें अब महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.


इस समय लोकसभा की 131 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं. महिला आरक्षण विधेयक के क़ानून बन जाने के बाद इनमें से 43 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.


इन 43 सीटों को सदन में महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों के एक हिस्से के रूप में गिना जाएगा.


इसका मतलब यह हुआ कि महिलाओं के लिए आरक्षित 181 सीटों में से 138 ऐसी होंगी जिन पर किसी भी जाति की महिला को उम्मीदवार बनाया जा सकेगा यानी इन सीटों पर उम्मीदवार पुरुष नहीं हो सकते. Sabhar BBC.COM 

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