पुरानी पेंशन: रामलीला मैदान की दो रैलियों ने बदला माहौल, OPS पर डैमेज कंट्रोल की तैयारी में सरकार!
पुरानी पेंशन: रामलीला मैदान की दो रैलियों ने बदला माहौल, OPS पर डैमेज कंट्रोल की तैयारी में सरकार!
Old Pension Scheme: एनपीएस स्कीम में शामिल कर्मी, 18 साल बाद रिटायर हो रहे हैं, उन्हें क्या मिला है। एक कर्मी को एनपीएस में 2417 रुपये मासिक पेंशन मिली है, दूसरे को 2506 रुपये और तीसरे कर्मी को 4900 रुपये प्रतिमाह की पेंशन मिली है। अगर यही कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में होते तो उन्हें प्रतिमाह क्रमश: 15250 रुपये, 17150 रुपये और 28450 रुपये मिलते...
केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन, 'पुरानी पेंशन' पर अब निर्णायक लड़ाई की ओर बढ़ रहे हैं। कर्मचारी संगठनों ने सरकार को स्पष्ट तौर से बता दिया है कि उन्हें बिना गारंटी वाली 'एनपीएस' योजना को खत्म करने और परिभाषित एवं गारंटी वाली 'पुरानी पेंशन योजना' की बहाली से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। नई दिल्ली के रामलीला मैदान में दस अगस्त को कर्मियों की रैली हुई थी। उसके बाद एक अक्तूबर की रैली में सरकारी कर्मियों की इतनी अधिक भीड़ जुटी, जिसने केंद्र सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया। केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि पुरानी पेंशन को लेकर रामलीला मैदान की दो रैलियों ने माहौल बदल दिया है। अब पुरानी पेंशन पर भाजपा को सियासी चोट का डर नजर आने लगा है। विपक्षी दलों ने इन रैलियों को सियासत की पिच पर लपक लिया। अब इसके राजनीतिक नुकसान से बचने के लिए केंद्र सरकार डैमेज कंट्रोल की तैयारी में है।
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पुरानी पेंशन: रामलीला मैदान की दो रैलियों ने बदला माहौल, OPS पर डैमेज कंट्रोल की तैयारी में सरकार!
Jitendra Bhardwajजितेंद्र भारद्वाज
Updated Mon, 02 Oct 2023 05:20 PM IST
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Old Pension Scheme: एनपीएस स्कीम में शामिल कर्मी, 18 साल बाद रिटायर हो रहे हैं, उन्हें क्या मिला है। एक कर्मी को एनपीएस में 2417 रुपये मासिक पेंशन मिली है, दूसरे को 2506 रुपये और तीसरे कर्मी को 4900 रुपये प्रतिमाह की पेंशन मिली है। अगर यही कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के दायरे में होते तो उन्हें प्रतिमाह क्रमश: 15250 रुपये, 17150 रुपये और 28450 रुपये मिलते...
Old pension: Two Ramlila Maidan rally changed the atmosphere, government preparing for damage control on OPS
Old Pension Scheme - फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
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केंद्र एवं राज्य सरकारों के कर्मचारी संगठन, 'पुरानी पेंशन' पर अब निर्णायक लड़ाई की ओर बढ़ रहे हैं। कर्मचारी संगठनों ने सरकार को स्पष्ट तौर से बता दिया है कि उन्हें बिना गारंटी वाली 'एनपीएस' योजना को खत्म करने और परिभाषित एवं गारंटी वाली 'पुरानी पेंशन योजना' की बहाली से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। नई दिल्ली के रामलीला मैदान में दस अगस्त को कर्मियों की रैली हुई थी। उसके बाद एक अक्तूबर की रैली में सरकारी कर्मियों की इतनी अधिक भीड़ जुटी, जिसने केंद्र सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया। केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि पुरानी पेंशन को लेकर रामलीला मैदान की दो रैलियों ने माहौल बदल दिया है। अब पुरानी पेंशन पर भाजपा को सियासी चोट का डर नजर आने लगा है। विपक्षी दलों ने इन रैलियों को सियासत की पिच पर लपक लिया। अब इसके राजनीतिक नुकसान से बचने के लिए केंद्र सरकार डैमेज कंट्रोल की तैयारी में है।
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इन विकल्पों पर हो रहा विचार
केंद्र सरकार के सूत्र बताते हैं कि ओपीएस पर लगातार चर्चा हो रही है। यह गुणा भाग लगाया जा रहा है कि पुरानी पेंशन को अगर पहले वाले स्वरूप में लागू करते हैं, तो सरकारी खजाने पर कितना भार पड़ेगा। रिटायरमेंट के समय बेसिक सेलरी का पचास फ़ीसदी हिस्सा पेंशन के तौर पर देते हैं तो कितनी राशि खर्च होगी। अगर इसमें बेसिक सेलरी का तीस से चालीस फीसदी हिस्सा, पेंशन के तौर पर देते हैं तो कितना आर्थिक भार पड़ेगा। इसके अलावा यह भी देखा जा रहा है कि एक तय पेंशन दे दी जाए, लेकिन उसमें किसी तरह की बढ़ोतरी का प्रावधान हो। यानी महंगाई राहत व दूसरे भत्ते, पेंशन में शामिल नहीं होंगे। सूत्रों का कहना कि सरकार फिलहाल ओपीएस देने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन पुरानी पेंशन से मिलते-जुलते फायदे एनपीएस में ही दे सकती है। सरकार ने वित्त मंत्रालय की जो कमेटी गठित की है, उसमें ओपीएस का ज़िक्र ही नहीं है। उसमें एनपीएस में सुधार की बात कही गई है। कांग्रेस पार्टी शासित प्रदेशों में ओपीएस लागू की जा रही है। रामलीला मैदान में रविवार को ओपीएस की मांग को लेकर हुई रैली के बाद कांग्रेस के कई मुख्यमंत्रियों ने इसके समर्थन में ट्वीट किए। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कर्मियों का पक्ष लिया। कांग्रेस सांसदों ने भी कर्मियों की मांग को उचित ठहराया। आप सांसद संजय सिंह भी रामलीला मैदान में पहुंच गए थे।
सियासत के मोर्चे पर करेंगे चोट
नई दिल्ली में 20 सितंबर को हुई राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) स्टाफ साइड की बैठक के एजेंडे में 'ओपीएस' का मुद्दा टॉप पर रहा था। कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करते हुए अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा था, हमने सरकार के समक्ष एक बार फिर अपनी मांग दोहराई है। एनपीएस को खत्म किया जाए और पुरानी पेंशन योजना को जल्द से जल्द बहाल करें। अगर सरकार नहीं मानती है तो देश में कलम छोड़ हड़ताल होगी, रेल के पहिये रोक दिए जाएंगे। दूसरे चरण में सरकार को सियासत के मोर्चे पर चोट की जाएगी। केंद्र एवं राज्यों के सरकारी कर्मियों और उनके परिजनों व रिश्तेदारों को मिलाकर वह संख्या दस करोड़ के पार चली जाती है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में जब यही संख्या वोट में बदलेगी तो केंद्र सरकार को कर्मियों की ताकत का अहसास होगा।
भारत बंद जैसे कई कठोर कदम
श्रीकुमार के मुताबिक, जेसीएम की बैठक में बताया गया है कि केंद्र सरकार में 20 लाख से ज्यादा कर्मचारी एनपीएस में हैं। 10 अगस्त को नई दिल्ली के रामलीला मैदान एक विशाल रैली आयोजित की गई थी। इसमें केंद्र और राज्य सरकार के लाखों कर्मियों ने हिस्सा लिया था। कर्मचारियों ने बिना गारंटी वाली एनपीएस योजना को खत्म करने की मांग की थी। इसके बाद कर्मचारी पक्ष ने जेसीएम की बैठक में अब एक बार फिर अपनी मांग दोहराई है। केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि पुरानी पेंशन योजना को जल्द से जल्द बहाल किया जाना चाहिए। सरकार, पुरानी पेंशन लागू नहीं करती है, तो 'भारत बंद' जैसे कई कठोर कदम उठाए जाएंगे। पुरानी पेंशन के लिए कर्मचारी संगठन, राष्ट्रव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल कर सकते हैं। इसके लिए 20 और 21 नवंबर को देशभर में स्ट्राइक बैलेट होगा। कर्मचारियों की राय ली जाएगी। अगर बहुमत हड़ताल के पक्ष में होता है, तो केंद्र एवं राज्यों में सरकारी कर्मचारी, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। उस अवस्था में रेल थम जाएंगी तो वहीं केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी 'कलम' छोड़ देंगे।
अनिश्चितकालीन हड़ताल एक मात्र विकल्प
सी. श्रीकुमार के मुताबिक, पुरानी पेंशन बहाली के लिए केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी एक साथ आ गए हैं। लगभग देश के सभी कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर एकमत हैं। केंद्र और राज्यों के विभिन्न निगमों और स्वायत्तता प्राप्त संगठनों ने भी ओपीएस की लड़ाई में शामिल होने की बात कही है। कर्मचारियों ने हर तरीके से सरकार के समक्ष पुरानी पेंशन बहाली की गुहार लगाई है, लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई। अब उनके पास अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प बचता है। दस अगस्त और एक अक्तूबर की रैली में देशभर से आए लाखों कर्मियों ने 'ओपीएस' को लेकर हुंकार भरी थी। कर्मचारियों ने दो टूक शब्दों में कहा था कि वे हर सूरत में पुरानी पेंशन बहाल कराकर ही दम लेंगे। सरकार को अपनी जिद्द छोड़नी पड़ेगी। कर्मचारियों ने कहा था कि वे सरकार को वह फार्मला बताने को तैयार हैं, जिसमें सरकार को ओपीएस लागू करने से कोई नुकसान नहीं होगा। अगर इसके बाद भी सरकार, पुरानी पेंशन लागू नहीं करती है तो 'भारत बंद' जैसे कई कठोर कदम उठाए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कही थी ये बात
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बीडी चंद्रचूड, जस्टिस बीडी तुलजापुरकर, जस्टिस ओ. चिन्नप्पा रेड्डी एवं जस्टिस बहारुल इस्लाम शामिल थे, के द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत रिट पिटीशन संख्या 5939 से 5941, जिसको डीएस नाकरा एवं अन्य बनाम भारत गणराज्य के नाम से जाना जाता है, में दिनांक 17 दिसंबर 1981 को दिए गए प्रसिद्ध निर्णय का उल्लेख करना आवश्यक है। इसके पैरा 31 में कहा गया है, चर्चा से तीन बातें सामने आती हैं। एक, पेंशन न तो एक इनाम है और न ही अनुग्रह की बात है जो कि नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर हो। यह 1972 के नियमों के अधीन, एक निहित अधिकार है जो प्रकृति में वैधानिक है, क्योंकि उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के खंड '50' का प्रयोग करते हुए अधिनियमित किया गया है। पेंशन, अनुग्रह राशि का भुगतान नहीं है, बल्कि यह पूर्व सेवा के लिए भुगतान है। यह उन लोगों के लिए सामाजिक, आर्थिक न्याय प्रदान करने वाला एक सामाजिक कल्याणकारी उपाय है, जिन्होंने अपने जीवन के सुनहरे दिनों में, नियोक्ता के इस आश्वासन पर लगातार कड़ी मेहनत की है कि उनके बुढ़ापे में उन्हें ठोकरें खाने के लिए नहीं छोड़ दिया जाएगा। sabhar Amar Ujala.com
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