कैंसर, डायबिटीज, दिल की बीमारियों का इलाज आसान होगा


बेकार, बंजर, बिना काम का डार्क मैटर। वर्ष 2000 में जब पहली बार मनुष्य के जीन समूह (जीनोम) को सिलसिलेवार तरीके से जमाया गया तब वैज्ञानिकों ने उसके ज्यादातर हिस्से का इस तरह वर्णन किया था। तीन अरब मूल जोड़ों से बने हमारे डीएनए को केवल 22000 जीन्स में बांटा गया। यह मानवीय जीनोम का केवल दो प्रतिशत है। वैज्ञानिकों का कहना था, बाकी बहुत ज्यादा काम का नहीं है।
 
 
 
हमारे आनुवंशिक गौरव के लिए सौभाग्य की बात है कि यह निष्कर्ष गलत निकले हैं। अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) की अगुवाई में हो रही खोज से पता लगा है, 98 प्रतिशत जीनोम का अधिकतर हिस्सा बायो केमिकल हलचल की जीवंत दुनिया है। इनसाइक्लोपीडिया ऑफ डीएनए एलिमेंट्स (एनकोड) प्रोजेक्ट ने कुछ लाइलाज बीमारियों के उपचार की संभावनाएं पेश की हैं। एनआईएच के राष्ट्रीय मानव जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ एरिक ग्रीन ने पत्रकारों को बताया, जीवन ने कैसे आकार लिया- इस बुनियादी सवाल का हल खोजने के लिए यह एक शक्तिशाली संसाधन है। इससे हमें मनुष्य की बीमारियों के जीनोमिक आधार को समझने में मदद मिलेगी।
 
 
 
डीएनए का वह हिस्सा जो जीन नहीं बनाता, निठल्ला नहीं बैठा है। वह जीन्स को बताता है, कब काम करना है और किस वक्त आराम से बैठना है। वह यह भी निर्देश देता है, विभिन्न कोशिकाओं (सेल्स) में जीवन के किस बिंदु पर कितनी प्रोटीन का निर्माण करना है। उदाहरण के लिए उस 80 प्रतिशत डीएनए में किसी जगह से किसी कोशिका को दिमाग का न्यूरॉन बनाने या पैनक्रियास को इंसुलिन बनाने या चमड़ी की कोशिका को बूढ़ी कोशिका का स्थान लेने का निर्देश दिया जाता है।
 
 
 
एनकोड ने बेकार समझे जाने वाले 98 प्रतिशत जीनोम की रिसर्च को नई दिशा दी है। अगर कोई बीमारी जेनेटिक ऑन-ऑफ स्विच में गड़बड़ी से हुई है तो शोधकर्ता या डॉक्टर उसका पता लगाकर इलाज कर सकेंगे।  यह खोज दिल के रोगों, डायबिटीज, अल्जीमर्स और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज को आसान बनाएगी। सबसे अधिक फायदा कैंसर मरीजों को होने की संभावना है। यह बीमारी कई टिश्यूज में अनेक तरह से होती है।
 
 
 
कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि कैंसर का मुख्य कारण है। इधर, कैंसर रोधी नई दवाएं ट्यूमर निर्माण की प्रक्रिया को निशाना बनाती हैं। अब एनकोड ने कैंसर की कोशिकाओं को जीवित रखने वाले समूचे सर्किट का पता लगा लिया है। इससे मौजूदा दवाओं का नए तरीके से उपयोग हो सकेगा। उदाहरण के लिए स्तन और फेफड़े के ट्यूमर एक ही सर्किट में हैं तो किसी मरीज के इलाज में इस्तेमाल की गई दवा का उपयोग दूसरे के लिए भी हो सकेगा।
 
 
 
 
सेंट लुई में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कच्चे डीएनए को आरएनए में बदलने वाले दो दर्जन ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर की पहचान की है। फिर इनसे 17 किस्म के कैंसर में पाए जाने वाले प्रोटीन की पहचान की गई। इन फैक्टर के अधिक सक्रिय होने से ट्यूमर बढ़ सकते हैं। अगर इन पर काबू पाने का तरीका खोज लिया जाता है तो एक उपचार से 17 कैसरों को ठीक किया जा सकेगा। एनकोड से मानव शरीर की सेहत से संबंधित कई गुत्थियां सुलझेंगी। जीन के समूह का ब्योरा मौजूद होने से डॉक्टर आपको होने वाली बीमारियों के खतरे के प्रति सचेत रहेंगे। sabhar :bhaskar.com

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