हिग्स बोसोन से बदलेगी दुनिया
एक्सपट्र्स का मानना है कि गॉड पार्टिकल की खोज के बाद तकनीक, चिकित्सा और लाइफ साइंस के क्षेत्र में तरक्की होगी
जयपुर। आखिरकार पिछले चार वर्षो की कड़ी मेहनत के बाद वैज्ञानिकों ने हिग्स बोसॉन यानी गॉड पार्टिकल जैसे कण को खोज ही निकाला। लगभग 40 वर्ष पहले इसका नाम पहली बार वैज्ञानिक रूप से सामने आया था। हालांकि दुनिया के सबसे प्राचीन वेद ऋगवेद में ब्रह्मकण के नाम से इसका वर्णन मिलता है।
शहर के एक्सपट्र्स का भी मानना है कि हिग्स बोसॉन की उत्पत्ति से न सिर्फ ब्रह्मांड की अनदेखी परतों का पर्दाफाश होगा, बल्कि कम्यूनिकेशन और मेडिकल की फील्ड में भी नई क्रांति आएगी। शहर में विभिन्न वैज्ञानिकों से मेट्रो मिक्स टीम ने जाना, आखिर कैसे होगा हिग्स बोसॉन की खोज से इंसान को फायदा...
इंटरनेट होगा और भी तेज
बिग बैंग थ्योरी के कारण अब लाइफ साइंस को समझने में ज्यादा आसानी होगी। इसका सबसे ज्यादा फायदा कम्यूनिकेशन को मिलने की संभावना बढ़ गई है। इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन और नैनो पार्टिकल्स की बदौलत अब समूचे विश्व में वापस संचार क्रांति का सूत्रपात हो सकता है। इससे न केवल इंटरनेट की स्पीड में तेजी आएगी, बल्कि मोबाइल भी सुपर कम्प्यूटर के जैसे काम करने लगेगा। जेनेवा में होना वाला यह प्रयोग सच में वैश्विक स्तर पर जीव उत्पत्ति की भी अनेक परतों का खुलासा करने में कामयाबी हासिल करेगा।
- डॉ. रोहित जैन, रिसर्च स्कॉलर, आरयू
गॉड पार्टिकल या हिग्स बोसॉन की खोज से जीवन की उत्पति की विभिन्न परतों पर प्रकाश डाला जा सकेगा। इससे यूनिवर्स की उत्पत्ति और उसकी वर्किग के बारे में गहन अध्ययन करने में आसानी होगी। साथ ही इससे ऑरिजिन ऑफ लाइफ और उसकी निरन्तरता के बारे में भी नए सिरे से सोचा जा सकेगा। यदि बॉयोलॉजी के दृष्टिकोण से सोचा जाए तो यह वैज्ञानिकों की ओर से की जाने वाली अति महत्वपूर्ण खोज में एक है, जिससे दुनिया के बनने की परतों पर भी गौर किया जा सकेगा और कई चीजों के बारे में जानकारी भी हासिल की जा सकेगी।
- प्रो. एसएल कोठारी, साइंटिस्ट, बॉटनी, आरयू
रिसर्च अभी भी चल रही है और कई तरह के तथ्य भविष्य में सामने आते रहेंगे। मेरा मानना है कि इस रिसर्च से सबसे ज्यादा डवपलमेंट टेक्नोलॉजी फील्ड में आएगा। जो पार्टिकल इस रिसर्च में वैज्ञानिकों को मिले हैं, वो मौजूद पार्टिकल से कई लाख गुना क्षमता लिए हुए हैं। ऎसे में टेक्नोलॉजी डवलपमेंट को गति मिल सकती है। इससे संचार और तकनीक में क्रांति आ सकती है, लेकिन इस रिसर्च के कई दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। जिस तरह से हर टेक्नोलॉजी के अच्छे-बुरे दोनों तरह के प्रभाव होते हैं। भविष्य में इन पार्टिकल के जरिए ज्यादा प्रभावी परमाणु बम बनाए जा सकते हैं, जो मानव जाति के लिए हानिकारक भी साबित हो सकते हैं।
- त्रिभुवन सिंह रमन, साइंटिस्ट
उपचार की दिशा में नया रिवोल्यूशन
जब भी कोई बीमारी होती है तो वो जेनेटिक बेस पर होती है। जिसमें कई छोटे-छोटे पार्टिकल मौजूद होते हैं। इन पार्टिकल में बदलाव स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। रिसर्च में जो पार्टिकल्स सामने आए वो पार्टिकल्स ह्यूमन बॉडी में मौजूद पार्टिकल्स की तरह ही हैं। इन पर रिसर्च और उसके परिणाम मेडिकल फील्ड में बीमारी की उत्पत्ति, इसे खत्म करने और इसके उपचार की दिशा में रिवोल्यूशन लेकर आएंगे। इस रिसर्च से नैनो पार्टिकल टेक्नोलॉजी पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वर्तमान में चिकित्सा पद्धति में यह पार्टिकल महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जहां डॉक्टर पहुंचकर उपचार नहीं कर सकते हैं वहां डॉक्टर इन पार्टिकल की मदद से इलाज कर रहे हैं। यह उसी तरह है जिस तरह आरबीसी के अंदर ड्रग पहुंचाने के लिए इस पार्टिकल की सहायता से उपचार किया जा रहा है।
- डॉ. रमेश रूपरॉय, मेडिकल एक्सपर्ट
धर्म से जुडे लोग बोले
खोज से विज्ञान और धर्म की दूरियां होंगी कम
आज जिन तथ्यों की खोज वैज्ञानिक कर रहे हैं वो हजारों सालों पहले ही हमारे शास्त्रों में लिखे जा चुके हैं। हमारी संस्कृति में आदिकाल से ही विज्ञान रहा है। मैं यही कहूंगा कि विज्ञान और धर्म की तुलना करना सही नहीं है, क्योंकि ये दोनों ही अपनी जगह है। हमारे हिंदू धर्म की मान्यताओं से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है । मैं वैज्ञानिकों की इस खोज की सराहना करना चाहूंगा, क्योंकि इसमें उन्होंने काफी प्रयास किए हैं। ये उनकी बहुत बड़ी उपलब्घि है। गॉड पार्टिकल की खोज होने से उम्मीद है कि विज्ञान और धर्म के बीच की दूरियां भी कम हो जाए, क्योंकि इससे पहले विज्ञान को ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास नहीं था।
- पंडित रामकिशोर शास्त्री, ज्योतिष्ााचार्य।
हमें विज्ञान से कभी भी एतराज नहीं रहा। मगर विज्ञान ने अब वही खोजा है जिसके बारे में हम पहले से जानते हैं। ये खोज हमारे विचारों का समर्थन करती है। ईश्वर का अस्तित्व तो पहले भी था, बस अब उसे विज्ञान ने भी मान लिया हैा। अब आम आदमी विज्ञान की मदद से इसकी गहराई को और अधिक समझ सकेगा। विज्ञान और आध्यात्म दोनों ही अपनी-अपनी जगह है उनकी तुलना नहीं की जा सकती। वैज्ञानिकों ने उसी शक्ति को खोजा है जिसका अस्तित्व पहले से है। ये खोज नई नहीं है। हां, मगर इस खोज का फायदा हमें किसी न किसी तरह से जरूर मिलेगा। sabhar :http://www.dailynewsnetwork.in
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